


श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर देशभर में श्रद्धालु भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप लड्डू गोपाल की पूजा-अर्चना कर रहे हैं। मान्यता है कि बाल गोपाल की विधिवत पूजा से घर में सुख, समृद्धि और शांति बनी रहती है। जन्माष्टमी के दिन लड्डू गोपाल को स्नान कराना, वस्त्र पहनाना और माखन-मिश्री सहित विभिन्न भोग अर्पित करना बेहद शुभ माना जाता है।
पूजन की शुरुआत स्नान से करें
पूजा से पहले भगवान को पंचामृत स्नान (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर) कराया जाता है। इसके बाद गंगाजल से शुद्ध स्नान कराकर उन्हें साफ वस्त्र पहनाए जाते हैं। बाल गोपाल को चांदी या तांबे के पात्र में विराजमान किया जाता है।
पूजन विधि में क्या-क्या शामिल है?
पूजा के दौरान दीपक जलाया जाता है, चंदन, कुमकुम, अक्षत, फूल और तुलसी पत्र चढ़ाए जाते हैं। भक्त गण "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" जैसे मंत्रों का जप करते हुए आरती करते हैं। फिर भगवान को माखन-मिश्री, फल, खीर, पंजीरी और अन्य मिठाइयों का भोग अर्पित किया जाता है।
आरती और भोग के बाद करें यह प्रार्थना
भोग अर्पण के बाद श्रीकृष्ण की आरती की जाती है और यह प्रार्थना की जाती है —
“हे नंदलाल! मेरे घर में सदा आपकी कृपा बनी रहे, सुख-शांति और प्रेम बना रहे।”
पूजन के विशेष नियम:
- भोग में तुलसी पत्र अवश्य रखें।
- स्नान, पूजा और भोग अर्पण सब श्रद्धा और शुद्धता के साथ करें।
- बाल गोपाल को झूले में झुलाना भी शुभ माना जाता है (विशेषकर जन्माष्टमी की रात 12 बजे)।
जन्माष्टमी पर बाल गोपाल की पूजा क्यों है विशेष?
जन्माष्टमी का दिन भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का पर्व है, जो भक्त और भगवान के प्रेम का सबसे बड़ा प्रतीक माना जाता है। इस दिन बाल गोपाल की पूजा करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, मन की शांति, और पारिवारिक सुख की प्राप्ति होती है।